शहाबुद्दीन की मौत की ख़बर पर सस्पेंस, ANI समाचार एजेंसी ने डिलीट किया ट्वीट, मौत की ख़बर की कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं

नई दिल्ली : बिहार के बाहुबली एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद शाहबुद्दीन की मौत होने की खबर पर संस्पेंस गहरा गया है। समाचार एजेंसी एएनआई ने पहले शाहबुद्दीन की मौत होने की खबर दी थी लेकिन अब उसने इस खबर अपना स्पष्टीकरण दिया है। समाचार एजेंसी का कहना है कि शाहबुद्दीन की मौत की खबर की सूचना देने वाले अपने ट्वीट को उसने डिलीट कर लिया है। समाचार एजेंसी का कहना है कि उसे इस बारे में अभी आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है। एएनआई ने कहा है कि शाहबुद्दीन की मौत पर उसके परिवार और राजद प्रवक्ता के बयान में विरोधाभास है।

शाहबुद्दीन पर हत्या समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। गैंगस्टर तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शहाबुद्दीन को पिछले महीने 21 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती किया गया।

बिहार की जेलों में सजा काट चुका था

यह बाहुबली तिहाड़ जेल आने से पहले बिहार के भागलपुर और सीवान की जेल में सजा काट चुका है। साल 2018 में शाहबुद्दीन को जमानत मिली थी लेकिन जमानत रद्द होने के बाद उसे वापस जेल जाना पड़ा।

SC के आदेश के बाद तिहाड़ लाया गया

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे बिहार से दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल लाया गया। ऐसी आशंका जताई गई कि बिहार की जेल में रहते हुए वह अपने खिलाफ चलने वाले मामलों को प्रभावित कर सकता है।

तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने हालांकि शाहबुद्दीन की मौत की खबर की पुष्टि नहीं की लेकिन समाचार एजेंसी एएनआई ने बाहुबली के निधन की जानकारी दी। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने गत बुधवार को दिल्ली सरकार एवं तिहाड़ जेल के अधिकारियों को शाहबुद्दीन की चिकित्सा का बंदोबस्त करने का निर्देश दिया था।

2004 के दोहरे हत्याकांड में हुई आजीवन कारावास की सजा

साल 2004 में दो भाइयों की हत्या मामले में शाहबुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा हुई। फिरौती की रकम न चुकाने पर शाहबुद्दीन और उसके गुर्गों ने दोनों भाइयों की हत्या कर दी। हत्या के इस मामले ने बिहार में काफी तूल पकड़ा। सिवान जिले का यह बाहुबली राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव करीबी रहा। लालू के मुख्यमंत्री रहते हुए इसने अपना अपराध का साम्राज्य बढ़ाया। लोगों का कहना है कि लालू जब सीएम थे तो इसे सत्ता का संरक्षण मिला हुआ था। चुनावों के समय शाहबुद्दीन अपने दबदबे एवं खौफ से लोगों को डराकर अपनी पसंद के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने के लिए बाध्य करता था।

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