रायपुर: छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में फर्जी नाम से ऑनलाइन सामान मंगवाकर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के मास्टरमाइंड प्रिंस की तलाश तेज

रायपुर: छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में फर्जी नाम से ऑनलाइन सामान मंगवाकर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी के मास्टरमाइंड धनबाद “झारखंड”के प्रिंस की तलाश पुलिस ने तेज कर दी है। पिछले दिनों इस गिरोह से जुड़े चार युवकों की रायपुर से गिरफ्तारी के बाद पुलिस एक्शन मोड में है। यह गिरोह कालेधन को सफेद करने के लिए फर्जी नामों से ऑनलाइन सामान मंगवाने के बाद उसे दुकानदारों को बेच देता था।

उससे मिली रकम में से अपना कमीशन काटकर मास्टरमाइंड के खाते में ट्रांसफर करता था। ऑनलाइन फ्रॉड कर मनी लांड्रिंग करने वाले इस गिरोह को डिकोड कर पुलिस की विशेष टीम ने गुजरात, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, झारखंड से जुड़े इनके लिंक को खंगालना शुरू किया है। अब तक पुलिस के राडार पर इस रैकेट से जुड़े अहमदाबाद के मंतग, राजस्थान के हिमांशु और उत्तरप्रदेश के अमन हैं।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों मप्र के बालाघाट में पकड़े गए साइबर ठगों से पूछताछ में ठगी के पैसे को ऑनलाइन सामान मंगवाने में निवेश करने का भांडा फूटा था। इस गिरोह के लिंक रायपुर से जुड़े होने का पता चलते ही पुलिस की विशेष टीम जांच में जुटी तो चौंकाने वाले राजफाश हुए। शातिर साइबर ठग गिरोह ठगे गए करोड़ों की रकम को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर ही मनी लांड्रिंग (काला धन को व्हाइट) की तर्ज पर ठग गिरोह सफेद कर रहे थे।

यह गिरोह पिछले पांच-छह साल से पूरे बाजार में लोगों को आसानी से चकमा देता आ रहा था।पुलिस ने गिरोह से जुड़े डगनियां निवासी सुदीप देवांगन को सबसे पहले हिरासत में लेकर पूछताछ की।उसने इस खेल में शामिल तीन अन्य स्थानीय युवकों के नाम बताए। इसके बाद डंगनिया के ही तुषार जैन, गुढ़ियारी के गौरव बलानी और आशीष झा की गिरफ्तारी की गई।उनके कब्जे से भारी मात्रा में मोबाइल,लैपटाप, आइपैड,सिम कार्ड, स्मार्ट टीवी, फिलिप कार्ड बाक्स समेत नकदी 3.48 लाख रुपये बरामद किए गए थे।

सरगना के कई राज्यों में है तगड़ा नेटवर्क

पुलिस के मुताबिक गिरोह के मास्टर माइंड प्रिंस है। प्रिंस के छत्तीसगढ़, मप्र, उप्र, झारखंड, गुजरात, राजस्थान समेत अन्य कई राज्यों में तगड़े नेटवर्क निकले हैं। वह झारखंड के कोल इलाके में बैठकर ओटीपी जनरेट करके फ्लिम कार्ड, अमेजन आदि शापिंग साइट से मोबाइल, टीवी, अन्य इलेक्ट्रानिक्स सामान फर्जी नामों से अपने आदमियों के पते पर मंगवाता था।

फिर इन सामानों की डिलेवरी होने पर सुदीप प्राप्त कर अपने लोगों को बेच देता था। इससे प्राप्त पैसे में से वह अपना दस से पंद्रह फीसद कमीशन काटकर शेष रकम प्रिंस के खाते में ट्रांसफर कर देता था। इस तरह ब्लैक मनी व्हाइट हो जाती थी।

पहली बार इस गिरोह का भांडा फूटने से शातिर ठगों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। प्रिंस के पकड़े जाने से बड़ा राजफाश होगा, लिहाजा पुलिस की टीम पूरे रैकेट को तोड़ने प्रिंस के संभावित अड्डों पर मुखबिरों को सक्रिय किया है। फिलहाल वह अपने आदमियों के पकड़े जाने की भनक पाकर भूमिगत हो चुका है। जबकि मंतग, हिमांशु और अमन की तलाश में भी टीम भेजी गई है।

साइबर ठगी के करोड़ों रुपये को हर महीने आनलाइन शापिंग साइट से मोबाइल, टीवी और समेत अन्य इलेक्ट्रानिक्स गैजेट खरीदकर उसे बाजार में एजेंटों के जरिए बेचकर काले धन को सफेद करने वाले रैकेट के जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रहे है।सरगना प्रिंस समेत अन्य की तलाश में पुलिस टीमें लगाई गई है।जल्द ही बड़ा राजफाश होगा।

अंकिता शर्मा (आईपीएस), आजादचौक सीएसपी

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