वाहनों के शीशों पर काली फिल्म लगाने का शौक दे रहा अपराध को बढ़ावा
भिलाई: जिले की यातायात व्यवस्था लचर है। बस हो या कार। सब लोग नियम तोड़ रहे हैं। कोई क्षमता से ज्यादा सवारी बैठाता है। कोई प्राइवेट नंबर का व्यवसायिक उपयोग कर रहा है। अब तो हाल ये है कि लोग खुलेआम अपनी गाडिय़ों में काला शीशा लगा कर बेखौफ घूम रहे हैं। महानगरों में कई बार काला शीशा लगे वाहनों से आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है। लेकिन इस मामले में प्रशासन गंभीर नहीं है। सरकार द्वारा काला शीशा पर प्रतिबंध लगाया गया है। बावजूद इसके सड़क पर काला शीशा लगे वाहन सरपट दौड़ रहे हैं।
काला शीशा लगे वाहन के अंदर कौन है, अपराधी हैं या वीआईपी, इसका पता न तो पुलिस को चल पाता है न जनता को। काला शीशा लगे वाहनों का उपयोग अक्सर आपराधिक गतिविधियों के लिए होता आया है। कारों से हत्या और अपहरण की वारदातों को अंजाम दिया जा सकता है। आपराधिक चरित्र वाले लोग अपनी पहचान छिपाने के लिए ऐसे वाहनों का उपयोग करते हैं।लग्जरी बसें भी शीशों पर काली फिल्म लगाकर दौड़ रहीं है।लग्जरी बसों और कारों के शीशे में काली फिल्म लगायी जाती है। शहर में ऐसे दर्जनों वाहन चल रहे हैं। यह पूरी तरह गैर कानूनी है। काला शीशा लगे वाहनों के अंदर क्या हो रहा है, सड़क पर आने-जाने वाले देख नहीं सकते हैं। दिल्ली में दामिनी दुष्कर्म कांड चर्चित उदाहरण है। काला शीशा लगी लग्जरी बस में घटना को अंजाम दिया गया था। काला शीशा लगे वाहनों पर सवार अपराधी अपराध को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासन ठोस कार्रवाई नहीं करता। इसके कारण शहर में काला शीशा वाले व्यवसायिक और निजी वाहन बेधड़क चलते दिखते हैं।