साहेब के चहेते फिर उनके जाने की जुगत में लोगों को दे रहे तारीख पर तारीख.….

विस्तार

रविकांत मिश्रा
भिलाई:
महकमे की एक विंग का इकौलात प्रभार संभाल रहे साहेब खासे परेशान चल रहे हैं. उनकी परेशानी की वजह उनके साहेब ही बने हुए हैं. अरसे बाद जिले में आमद हुई. जिम्मेदारी भी ऐसी मिली कि मानों कुबेर महल के दरवाजे की चाभी थमा दी गई हो. बस चाभी लगाकर दरवाजा खोलो और बटोर लाओ माल जितना चाहिए. जिले में छह माह गुजराने के बाद समझ आया कि उन्हें जो चाभी मिली है, वो रिमोट कंट्रोल वाली है. उसका कंट्रोल उनके साहेब के पास है. ऐसा भी नहीं है। की वो अपने साहेब के चहेते नहीं है. साहबे के विश्वस्थ लोगों में उनका भी नाम आता है. पहले इसी नाते उन्होंने लोगों को टोकन बांटकर तारीख दे डाली. पहले उन्हें लगा की आचार संहिता के बाद साहेब की ग्रीन सिंग्नल मिल जाएगी चुनाव बीते त्योहार की शुरुआत और आगे फिर चुनाव की तैयारी होने वाली है. लेकिन उन लोगों का कोई काम नहीं हुआ ,जिन्हें तारीख दे रखी थी. ऐसे में वेटिंग में बैठे लोगों को दिलासा देने के लिए साहेब जाने का सिफूगा छोड़ दिया. अब उस बात को भी असरा बीत गया, सो वेटिंग में लोग सुबह से शाम तक साहेब से यही पूछ रहे हैं. तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख पर काम कब करने को मिलेगा, साहेब!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *